करगीरोड कोटा (ब्यूरो चीफ विकास तिवारी )
करगीरोड कोटा:-भारत देश के प्रधानमंत्री माननीय नरेन्द्र मोदी की स्वच्छ भारत अभियान का पूरे देश मे जोर शोर से प्रचार-प्रसार किया जा रहा है,स्वच्छता अभियान के तहत स्लोगन बनाये जा रहे हैं,बड़े-बड़े सहरो ग्रामीण इलाकों में स्वच्छता पखवाड़ा भी मनाया जा रहा है, नगर निगम पालिका, नगर पंचायत, ग्राम पंचायत तक स्वच्छता की रेटिंग के लिए शासन स्तर पर प्रयास किया जा रहा, स्वच्छता पखवाड़ा अभी कुछ दिनों पहले 2-अक्टूबर को गांधी जयंती के अवसर पर चलाया गया जिसमें की प्रशासनिक अधिकारियों सहित जनप्रतिनिधियों ने हाथों में झाडू थामकर ओपचारिकता पूरी की जो कि हर स्वच्छता पखवाड़े के दौरान किया जाता है,वो अलग विषय है कि प्रशासनिक अधिकारियों व जनप्रतिनिधि द्वारा साफ-सफाई अभियान उस जगहों पर चलाया जाता है, जहा पर कचरा नही होता है, कचरा डालकर झाडू-चलाकर ओपचारिकता पूरी की जाती है,इस प्रकार से स्वच्छ्ता पखवाड़ा पूरा कर दिया जाता है।*
*स्वच्छ भारत अभियान,स्वच्छता पखवाड़ा, या फिर जब जब इस तरह के कार्यक्रम शासन प्रशासन द्वारा किए जाते है, नगर पंचायत कोटा के वार्ड नं-13 में स्थित बंधवा तालाब को प्रशासनिक अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों के इंतजार रहता है, पर प्रशाशनिक अधिकारी व जनप्रतिनिधियो द्वारा इस तालाब को लेकर बेरुखी रहती है, जलकुंभी से पटा हुवा तालाब अपने अगल बगल 3-से 4 वार्डो को जोड़ता है,वार्डवासियों के लिए निस्तारी का यही एक माध्यम है, बीच-बीच मे नगर पंचायत कोटा द्वारा तालाब ठेका में दिया जाता था, ठेकेदार मछली पालन करने के लिए साफ सफाई कर भी देता था, पर अभी वर्तमान में जस का तस तालाब की स्थिति बनी हुई है, कोटा नगर पंचायत के अंदर आधा दर्जन तालाब मौजूद बरसात के दिंनो में पानी संग्रह का एक अच्छा माध्यम है, तालाब पर न तो नगर पंचायत अधिकारी द्वारा या फिर प्रशाशनिक अधिकारियों द्वारा व जनप्रतिनिधियों द्वारा संज्ञान नही जाता पर बारिश शुरू होते ही अधिकारी ज्ञान बाटने लगते हैं वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम की बरसात के पहले सभी के सभी गहरी नींद में रहते हैं,गर्मी के दिनों में जब पानी का लेबल नीचे चला जाता है,वार्ड में रहने वाले वार्डवासि जब हलाकान होते हैं, हाहाकार मचता है,तब अधिकारी और जनप्रतिनिधि गहरी नींद से जागते हैं, फिर नया बोर करने का खेल शुरू किया जाता है, मोटर खरीदी की जाती है,भारी मात्रा में शासन की राशि का दुरुपयोग किया जाता है।*
*छत्तीसगढ़ शासन द्वारा तालाबों के संरक्षण के लिए सरोवर-धरोहर योजना भी लागू की गई थी, पर उस योजना का लाभ,नगर पंचायत के अंदर के तालाबों को नहीं मिला ,बरसात शुरू होने से पहले अगर तालाबों की साफ-सफाई और गहरीकरण किया जाता तो बरसात के दिनों का जो पानी गिरता है ,वह पानी तालाबों में संग्रहण होता है ,जिससे कि पानी का लेवल भी बढ़ता है, साथ ही वार्ड वासियों को निस्तारि के लिए कहीं और नहीं जाना पड़ता पर इसके विपरीत तालाबों को सवारने के बजाय तालाबों में कचरा डंप किया जा रहा है, नालियों का गंदा पानी घरों का गंदा पानी तालाब में गिराया जा रहा है, इसका जीता-जागता उदाहरण वार्ड नंबर -13 में स्थित बंधवा तालाब है,जहां पर के पानी में अगर कोई नहा ले उसे चर्म रोग हो जाएगा ,त्वचा संबधी रोग, बीमारियां हो जाएंगी जलकुंभी से पटा हुआ यह पूरा तालाब ना ही प्रशासनिक अधिकारियों की नजर में आता है और ना ही जनप्रतिनिधियों के कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं और जागरूक जनप्रतिनिधियों द्वारा प्रयास भी किया जाता है,पर उनके प्रयास को सहयोग नहीं मिल पाता सभी मौन है, अभी कुछ दिनों पहले शांति-समिति की बैठक में दुर्गा विसर्जन बंधवा तालाब मे करने की बात कही गई पर जिन्होंने बात कही उन्हें भी शायद इस बात की जानकारी थी की बंधवा तालाब की वर्तमान स्थिति क्या है, इसके बावजूद भी सभी ने अपनी सहमति दी यह समझ से परे है,दुर्गा-अष्टमी और दुर्गा पूजा की पूरे नगर में धूम है उस दौरान दुर्गा विसर्जन बंधवा तालाब में करना एक प्रकार से धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना भी प्रतीत होता है, पर प्रशासनिक अधिकारी सहित जनप्रतिनिधियों द्वारा भी इस विषय में खामोश रहना समझ से परे है, वर्तमान समय में आचार संहिता लग चुकी है, राजनीतिक दलों के नेताओं की टिकट फाइनल होने के बाद हो सकता है बंधवा तालाब की साफ सफाई हो जाए ,बंधवा-तालाब को भी इंतजार है ,उन नेताओं का जो कि अपने कार्यकाल के दौरान केवल चुनाव के समय ही दिखते हैं, उपेक्षा का शिकार बंधवा तालाब उस राजनीतिक दल और उस राजनीतिक दल के जनप्रतिनिधियों का पलके बिछाए इंतजार कर रहा है, कि इस चुनावी मौसम में कोई तो ऐसा नेता या राजनीतिक दल का जनप्रतिनिधि बंधवा तालाब के समीप आए बंधवा-तालाब हाथ जोड़कर निवेदन करें की कम से कम आप तो मेरी सफाई करवा दीजिए, ताकि यहां पर रहने वाले आमजनों को निस्तारि और धार्मिक कार्यों में उपयोग के लायक मैं हो जाऊं पर अफसोस चुनावी शंखनाद होने के बाद भी अब तक बंधवा तालाब इंतजार में बैठा हुआ है, ना जाने मनोकामना पूर्ण होगी दुर्गा अष्टमी जाने वाली है ,दशहरा और दिवाली आने वाली है ,जाते-जाते दुर्गा जी से भी मानो बंधवा तालाब यही मनोकामना कर रहा है, कि कोई तो तेरा नेक बंदा भक्ति भाव से परिपूर्ण भक्तगण मेरी सफाई करा दे आगे देखना होगा उस भक्त को किस रूप में प्रगट होता है, अधिकारी के रूप में, जनप्रतिनिधि के रूप में या फिर किसी अन्य अवतार में।*
*तालाबों की खराब स्थिति पर आम आदमी पार्टी के कोटा विधानसभा प्रत्याशी हरीश चंदेल द्वारा भी वर्तमान नगर पालिका और नगर पंचायत में बैठे सत्ताधारी और विपक्ष के जनप्रतिनिधियों पर आक्रोश जताया, तालाबों की नगरी कहे जाने वाला रतनपुर धार्मिक नगरी के अलावा कोटा नगर पंचायत के तालाबों पर मौन रहना ,स्वच्छ भारत अभियान, के बहाने जनता के पैसे की राशि का दुरुपयोग करना बताया साथ ही बरसात के दिनों में तालाब में पानी संग्रहण हो जाने से गर्मी के दिनों में आम जनों को पानी की समस्याओं से निजात मिलने की बात कही वाटर लेबल सही रहने की बात कही गई,पर प्रशासनिक अधिकारियो को बारिश के दिनों में ही वाटर हार्वेस्टिंग की बात याद आती है बरसात के पहले याद नहीं रहता है।*
*कोटा नगर के पूर्व पार्षद और वर्तमान में नगर कांग्रेस अध्यक्ष देवेंद्र कश्यप सहित कुछ लोगों द्वारा इस विषय में एसडीएम कोटा को ज्ञापन दिया गया है की बंधवा तालाब की साफ सफाई करवाई जाए और साथ ही दुर्गा विसर्जन इस तालाब में ना करवाया जाए अन्य किसी और तालाबों में या बांधों में विसर्जन करने की वैकल्पिक व्यवस्था की जाए, साथ ही देवेंद्र कश्यप ने वर्तमान सत्ताधारी दल के लोगों पर भी कटाक्ष किया स्वच्छ-भारत अभियान ,स्वच्छता पखवाड़ा जैसे कार्यक्रम के बहाने शासन की राशि का दुरुपयोग करने की बात कही साथ ही बंधवा तालाब के मामले को लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल कोर्ट जाने की बाद भी कही गई।*
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