राजेश सोनी बिलासपुर ब्यूरो चीफ-9691067366
तखतपुर में अन्न दान का लोकपर्व छेरछेरा गुरुवार को पारम्परिक तरीके से मनाया गया…..
तखतपुर-दान का पर्व छेरछेरा गुरुवार को पारम्परिक तरीके से मनाया गया।पौष पूर्णिमा के दिन मनाये जाने वाला यह पर्व दान का पर्व माना जाता है।छेरछेरा का महत्व ग्रामीण प्रधान एवम कृषि प्रधान प्रदेश होने के कारण छत्तीसगढ़ में अन्य पर्व जितना महत्वपूर्व हैं,तथा यह उत्सव कृषि प्रधान संस्कृति में दानशीलता की परंपरा की याद दिलाता है।उत्सवधर्मिता से जुड़ा छत्तीसगढ़ का मानस लोकपर्व के माध्यम से सामाजिक समरसता को सुदृढ़ करने के लिए आदिकाल से संकल्पित रहा है।
ग्रामीण अंचलों के साथ ही शहरों में बच्चे सुबह सुबह तैयार हो कर “छेरछेरा”,माई कोठी के धान ल आ हेरहेरा,गाते हुए घर-घर जाकर धान का दान मांगते नजर आते है।श्रद्धालुओ द्वारा प्रमुख नदी,अरपा,मनियारी में स्नान कर दान दिया जाता है।
तखतपुर ज्योतिषाचार्य श्री विश्राम प्रसाद सोनी ने बताया कि पौराणिक मान्यता के अनुसार पौष पूर्णिमा के दिन जो कोई अन्न दान करता है,वो पूण्य का भागी होता है,सभी प्रमुख दान में अन्न दान का अपना विशेष महत्व है।
नई फसल आने के बाद छेरछेरा का पर्व किसान बड़े उत्साह से मनाते है।इस दिन गाँव के छोटे छोटे बच्चे,घरों में जाकर धान का दान मांगते है।वही लोग भी उत्साह पूर्वक बच्चों को अन्न दान देते है।अन्नदान आज के दिन शुभ माना जाता है।कई गाँवो में आज के दिन सास्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित होते है।