ध्वनि प्रदूषण से जन जीवन प्रभावित, बढ़ रही है बहरापन की संभावनाएं

छ. ग ब्यूरो चीफ- पी.बेनेट
ध्वनि प्रदूषण से जनजीवन प्रभावित
हम तोर में देखा जाए तो वाहन के साथ-साथ डीजे लाउडस्पीकर की बढ़ते ध्वनि प्रदूषण तू कभी नुकीली चीज द्वारा कानो की सफाई करने से कान का छती ग्रस्त होना जबकि हमारे शरीर में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले अंग है वह है कान मनुष्य के जीवन जीने के तरीके से अन्य अंगों की तरह काम भी प्रभावित होता है अधिक स्वर में संगीत सुनने ईयर फोन घंटो बातें करना या गाना सुनने डीजे लाउडस्पीकर बज रही स्थान पर रहने से कान की बाहरी परत क्षतिग्रस्त हो जाती है कानों की समस्या युवाओं में अधिकदेखी जा रही है इसमें सबसे खतरनाक बीमारी है बहरापन
यदि हम स्विमिंग पूल का उपयोग करते हैं तो बालों के ही नहीं कानों को भी नुकसान होता है फूल में पानी को साफ रखने के लिए क्लोरीन का प्रयोग किया जाता है जब कानो में पानी चला जाता है अब दर्द होना या तरल पदार्थ बहने की समस्या हो सकती है बचने के लिए एयर पलक का इस्तेमाल करना अति आवश्यक है आज आपाधापी के दौर में अनेक वाहनों मशीनों फैक्ट्रियों और खासतौर पर ऑटो मोबाइल से निकलने वाले शोर के कारण वातावरण मे ध्वनि प्रदूषण का स्तर बढ़ जाती है इसके कान से सुनने की क्षमता कम हो रही है

कान के पूर्णता जांच जरूरी है
कान में संक्रमण की समस्या हो सकती है कान में आसानी से तरल पदार्थ प्रवेश कर सकता है कानो में संक्रमण के कारण खसरा आदि बीमारियां हो सकती है इसे सुनने की क्षमता प्रभावित होती है इसलिए जब भी कान में तरल पदार्थ चला जाए तो कानों को अच्छे से साफ जरूर करें वैदिक काल में किसी तरह की चोट लग गई है तो इसकरण अभी सुनने की क्षमता कम हो जाती है वाहन चलाते समय कोई दुर्घटना होने के भी कान में अचानक तेज दर्द हो तो कान के पर्दे की जांच जरूरी हो जाती है
जनहित में जारी

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