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,ब्यूरो विकास तिवारी करगिरोड कोटा
डेढ़-साल से समाज से प्रताड़ित-बहिष्कृत आदिवासी परिवार के सदस्य की मौत शासन-प्रशासन की अनदेखी बनी मौत का कारण।*
*मीडिया की उपस्थिति में पुलिस के अधिकारियों और कर्मचारियों ने पेश की मानवता की मिसाल मृतका का करवाया अंतिम संस्कार*
*करगीरोड कोटा:-वर्तमान समय में देश और देश के लोग भले ही चांद तारों तक पहुंच गए हैं, नया इंडिया और नया छत्तीसगढ़ की बात देश के प्रदेश के मुखिया करते हैं वह मौखिक बातें और कागजी हैं, वर्तमान परिस्थिति में डिजिटल इंडिया या नया इंडिया या नया छत्तीसगढ़ दूर-दूर तक दिखाई नहीं पड़ता आज भी इस देश के समाज में कुछ ऐसे समाज के मुखिया व सामाजिक लोग मौजूद हैं जिनकी वजह से देश और प्रदेश के समाज में रहने वाले लोग प्रताड़ित है,बहिष्कृत हैं ऐसा ही एक मामला कोटा विकासखंड के शिवतराई ग्राम पंचायत का है जहां पर एक आदिवासी परिवार को पिछले डेढ़ साल से समाज से बाहर कर दिया गया है, समाज के लोगों द्वारा उनका हुक्का-पानी बंद कर दिया गया, पिछले डेढ़ साल से समाज से बहिष्कृत सुनीता पोर्ते का परिवार आज समाज से बहिष्कृत और अलग-थलग पड़ा हुआ है, समाज से बहिष्कृत और प्रताड़ित से सुनीता पोर्ते की चाची का शनिवार की रात को स्वर्गवास हो गया बताया जा रहा है,सुनीता पोर्ते की चाची जिनकी उम्र 80 वर्ष थी समाज से प्रताड़ित होने की वजह से सदमे में भगवान को प्यारी हो शनिवार के रोज पीड़ित की चाची का स्वर्गवास हो गया था घर में ही शव पड़ा हुआ था, पर समाज के लोगों द्वारा पीड़ित परिवार कोई सहयोग नहीं दिया गया ना ही उनके अंतिम संस्कार करने में मदद की गई, पिछले 20 घंटों से घर में पड़ी शव को अंतिम संस्कार के लिए पीड़ित परिवार का रो-रो कर बुरा हाल था, उसी बीच पीड़ित परिवार के सुनीता पोर्ते ने सामाजिक कार्यकर्ता और पेशे से वकील प्रियंका शुक्ला बिलासपुर से संपर्क करके घटना के बारे में बताया गया प्रियंका शुक्ला द्वारा सोशल मीडिया में पोस्ट से कोटा एसडीओपी अभिषेक सिंह ने संज्ञान लेते हुए इस पूरे मामले की जानकारी ली सामाजिक कार्यकर्ता प्रियंका शुक्ला से ,उसके बाद अपने उच्च अधिकारी से विचार विमर्श के बाद एसडीओपी कोटा द्वारा कोटा थाना प्रभारी सहित पुलिस पुलिस बल को शिवतराई पहुंचने को कहा एसडीओपी अभिषेक सिंह और थाना प्रभारी कृष्णा पाटले सहित पुलिस के जवान और सामाजिक कार्यकर्ता, नायाब तहसीलदार ,पटवारी के उपस्थिति में पीड़ित परिवार की मृतका का अंतिम संस्कार किया गया साथ ही पीड़ित परिवार को आर्थिक मदद भी की गई उनके अंतिम संस्कार के लिए।*
*डेढ़ साल पहले जून 2017 घोघाडीह निवासी महेंद्र बंजारे नामक युवक का शिवतराई निवासी सुनीता पोर्ते से परिचय हुआ परिचय के बाद युवक और युवती का कुछ दिनों तक आपसी बातचीत होती रही सब कुछ ठीक चल रहा था ,फिर अचानक दोनों के बीच कुछ वाद-विवाद हुआ विवाद और तनाव इतना बढ़ गया की रंजिश वश युवक महेंद्र बंजारे द्वारा पूरे गांव में सुनीता पोर्ते के बारे में अनाप-शनाप गलत बातें लिखकर गांव में चस्पा कर दिया गया,जैसा कि पीड़ित सुनीता पोर्ते ने बताया, जिसके बाद समाज में बैठक के पश्चात सुनीता पोर्ते के परिवार को समाज से बहिष्कृत कर दिया गया, समाज के द्वारा समाज के लोगों के द्वारा,आने जाने का रास्ता और हुक्का पानी तक बंद कर दिया गया, जिसके बाद पीड़ित परिवार के लोग डरे सहमे और प्रताड़ित होने लगे समाज और समाज के मुखिया द्वारा युवक पर कार्रवाई ना करते हुए पीड़ित सुनीता पोर्ते के ऊपर कार्रवाई की गई जो कि समझ से परे है देश के प्रधानमंत्री बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ की बात करते हैं प्रदेश के मुखिया भी इसी स्लोगन को आगे बढ़ा रहे हैं पर वही शासन और प्रशासन की नाक के नीचे बेटियों को उनके परिवारों को प्रताड़ित किया जा रहा है समाज के रसूखदार लोगों द्वारा जिसमें कहीं ना कहीं शासन प्रशासन और प्रशासनिक अधिकारियों की भूमिका भी संदिग्ध है,पीड़ित परिवार द्वारा जिसके बिलासपुर सखी केंद्र में सामाजिक कार्यकर्ता प्रियंका शुक्ला के माध्यम से आवेदन दिया गया आवेदन के बाद मामला कोटा थाने में पहुंचा जिस समय तत्कालीन थाना प्रभारी कमलेश सिंह ठाकुर थाना प्रभारी थे ,पीड़ित परिवार और समाज के लोगों की बैठक के बाद थाना प्रभारी ने पीड़ित परिवार कि मदद करने के बजाय समाज के मुखिया और आरोपी युवक महेंद्र बंजारे के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय समाज और समाज के लोगों और युवक महेंद्र बंजारे का पक्ष लिया, सखी केंद्र और सामाजिक कार्यकर्ता द्वारा वह डाक्यूमेंट्स दिखाए गए जिसमें की युवक महेंद्र बंजारे द्वारा बयान दिया गया था, की पीड़ित परिवार की लड़की सुनीता पोर्ते को मैंने रंजिश वश परेशान किया था, और बैठक के दौरान समाज के लोगों के बीच स्वीकार करते हुए लिखित में बिलासपुर सखी केंद्र में युवक द्वारा दिया गया था उसके बाद भी,शासन-प्रशासन या उस समय कोटा थाना प्रभारी के पद में रहे तत्कालीन थाना प्रभारी कमलेश सिंह ठाकुर द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई जिसके बाद युवक और समाज के लोगों का हौसला बढ़ा और पीड़ित परिवार दिन-ब-दिन और पीड़ित होता गया यहां तक की शासन का प्रतिनिधि कहे जाने वाला सचिव जो कि पिछले साल 1 साल से शिवतराई ग्राम पंचायत में पदस्थ है ,उनके द्वारा यह कहना कि मुझे इस बारे में कोई जानकारी नहीं थी बड़ा ही हास्यास्पद लगता है, जीते जी उस पीड़ित परिवार जोकि बहिष्कृत था,समाज से उसकी कोई मदद नहीं की गई पीड़ित परिवार के सदस्य की मृत्यु के उपरांत शासन से प्रदान की जाने वाली अंतिम संस्कार की राशि प्रदान की गई जो कि बड़ा ही दुखद है।*
*एक कहावत है, एक सड़ी मछली पूरे तालाब को गंदा कर देती है ,यह बात उन लोगों पर भी लागू होती है ,जो सिस्टम के अंदर और समाज के अंदर रहकर इस कहावत को पूरा करते हैं, पुलिस विभाग का उस समय का चेहरा और आज का चेहरा अलग दिखा उस वक्त के तत्कालीन थाना प्रभारी कमलेश सिंह ठाकुर द्वारा अगर इस पूरे मामले का संज्ञान लेते हुए कार्रवाई किया जाता तो हो सकता है, पीड़ित परिवार परिवार समाज से बहिष्कृत ना होत् और आज पीड़ित परिवार की चाची जिंदा होती और समाज के ठेकेदार और रसूखदार के खिलाफ कार्रवाई करने के बाद बाकी अन्य समाज को भी एक शिक्षा मिलती कि भारत आजाद हो चुका है और इस देश के लोकतंत्र में सभी को समान जीने का अधिकार है,आज वहीं पुलिस विभाग और प्रशासन का इंसानियत और मानवता का चेहरा भी दिखाई पड़ा पूरे घटना की जानकारी लगते ही स्वयं संज्ञान लेते हुए एसडीओपी अभिषेक सिंह और थाना प्रभारी कृष्णा पाटले सहित पूरे पुलिस के जवान दल बल के साथ,साथ ही प्रशासन के अधिकारी तहसीलदार, पटवारी द्वारा पीड़ित परिवार के स्वर्गवासी चाची का पूरे नियम कायदे से अंतिम संस्कार करवाया गया स्वयं एसडीओपी अभिषेक सिंह कोटा थाना कृष्णा पाटले और पुलिस के जवानों द्वारा मृतका के शव को कंधा देकर समाज में यह संदेश देने की कोशिश की गई की समाज इंसान बनाता है, समाज इंसान को नहीं बनाता, इंसानियत और मानवता का बेहतरीन मिशाल पेश करते हुए पुलिस विभाग के अधिकारियों और कर्मचारी द्वारा समाज और समाज के लोगों को यह संदेश देने की कोशिश की गई और साथ ही एसडीओपी अभिषेक सिंह द्वारा पीड़ित परिवार के लोगों को कोटा थाना प्रभारी के नाम आवेदन देने की बात कही गई है, और साथ ही इस पूरे मामले में जिन लोगों की भूमिका रही है,उन सब के खिलाफ एफआइआर करने के साथ कड़ी कार्यवाही करने की बात एसडीओपी कोटा द्वारा कही गई ताकि अन्य समाज के लोगों को भी यह संदेश पहुंच जाए कि इस तरह का अमानवीय कृत्य करने से पहले 10 बार विचार करें देश के संविधान में सभी को समान अधिकार प्राप्त हैं।*