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सुहागिनों ने व्रत रखकर की अखंड सौभाग्य की कामना।सोलह श्रृंगार की जगह सत्रहवाँ श्रुंगार में मास्क सुशोभित रहा।

राजेश सोनी बिलासपुर ब्यूरो चीफ-9691067366

सुहागिनों ने व्रत रखकर की अखंड सौभाग्य की कामना।सोलह श्रृंगार की जगह सत्रहवाँ श्रुंगार में मास्क सुशोभित रहा।

तखतपुर–  प्यार,श्रद्धा और समर्पण का त्योहार वट-सावित्री पर्व तखतपुर शहर में बुधवार को पवित्र वातावरण में मनाया गया। सुहागिन महिलाओं ने निर्जला उपवास रख कर पति के दीर्घायु होने के लिए प्रार्थना की। व्रती सुहागिनों ने इस बार 16 श्रृंगार की जगह 17वीं श्रृंगार के रूप में मास्क पहनकर पूजा अर्चना करने घर से बाहर निकलीं। अधिकांश विवाहिता घर और आंगन में ही वट वृक्ष के टहनी लगाकार विधि-विधान से पूजा-अर्चना की।

वट वृक्ष की पूजा-अर्चना कर वृक्ष में कच्चे धागे की डोर बांध कर अखंड सौभाग्य की मन्नत मांगी गयी। पूजा के लिए दिन भर जगह-जगह वट वृक्ष के समीप महिलाओं की भीड़ जमा रही। पूजा के बाद महिलाओं ने गरीबों के बीच फलों और पकवान आदि का दान-पुण्य भी किया।

शहर एवं गांवों में सुबह से ही वट वृक्ष के नीचे पूजा के लिए महिलाओं की भीड़ उमड़ती रही। महिलाएं वृक्ष परिक्रमा कर उसमें कच्चे डोर बांधे। हर परिक्रमा पर महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए प्रार्थना की तथा जन्म-जन्मांतर तक साथ बनाए रखने की मन्नतें मांगी। डोर बांधने के बाद महिलाओं ने सत्यवान-सावित्री की कथा भी सुनी।वट वृक्ष के नीचे महिलाएं खासकर नव विवाहिताओं में ज्यादा उत्साह देखा गया।

मान्यता है कि वट वृक्ष में ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों देवताओं का वास है। पुराण के अनुसार बरगद के जड़ में ब्रह्मा, तने में विष्णु एवं पत्ते में शिव का वास है। इसलिए जब सावित्री अपने पति का पार्थिव शरीर उक्त वृक्ष के नीचे छोड़ गई थी तो तीनों देवों की वजह से वह सुरक्षित रहा। मान्यता के अनुसार ही महिलाएं वट वृक्ष में धागा बांधकर तीनों देवों से अपने के दीर्घायु होने का आशीष प्राप्त करती हैं

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