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समाज के अध्यक्ष आनंद देवांगन के साथ युवाओं ने किया भोरमदेव दर्शन
सामाजिक एकता के सन्देश देते हुए लाल रंग की ड्रेस, जय देवांगन जय महाजन के नारा लगते हुए पहुँचे भोरमदेव
समाज के अध्यक्ष देवांगन ने पूजा अर्चना कर समाज की सुख, शांति और खुश हाली की कामना
मुगेली// विगत दिनों मुंगेली देवांगन समाज द्वारा 05 दिवसीय माता परमेश्वरी महोत्सव का आयोजन किया गया। जिसमे 05 दिवस तक युवा के टीम दिन रात मेहनत कर कार्यक्रम को सफल बनाया । जिसे देख देवांगन समाज के अध्यक्ष आनंद देवांगन ने युवाओं को भ्रमण कराने का निर्णय लिया गया। निर्णय लेते ही अध्यक्ष आनंद देवांगन सहित युवाओ के टीम छत्तीसगढ का खजुराहो कहे जाने वाले कबीरधाम कवर्धा जिले में स्थित महत्वपूर्ण ऐतिहासिक धार्मिक पर्यटक स्थल भोरमदेव मंदिर पहुँचे। युवाओं के टीम काफी उत्साहित नजर आये। समाज के लोगो द्वारा सामाजिक एकता के सन्देश देते हुए लाल रंग की ड्रेस, जय देवांगन जय महाजन के नारा लगाते हुए नगर से प्रातः 11 बजे भोरमदेव मंदिर के लिए रवाना हुए । नगर से निकलते ही उत्साहित युवा हँसी मजाक, चुटकुले, गाना, शायरी और डांस करते हुए भोरमदेव मन्दिर दर्शन के लिए पहुँची। मंदिर स्थल पहुँच पूजा अर्चना कर समाज की सुख , शांति और खुशहाली की कामना की । मंदिर के चारो ओर मैकल पर्वतसमूह है जिनके मध्य हरी भरी घाटी में यह मंदिर है। मंदिर के सामने एक सुंदर तालाब भी है। इस मंदिर की बनावट खजुराहो तथा कोणार्क के मंदिर के समान है जिसके कारण लोग इस मंदिर को ‘छत्तीसगढ का खजुराहो’ भी कहते हैं। यह मंदिर एक एतिहासिक मंदिर है। इस मंदिर को 11वीं शताब्दी में नागवंशी राजा गोपाल देव ने बनवाया था। ऐसा कहा जाता है कि गोड राजाओं के देवता भोरमदेव थे एवं वे भगवान शिव के उपासक थे। भोरमदेव , शिवजी का ही एक नाम है, जिसके कारण इस मंदिर का नाम भोरमदेव पडा। कलचुरी काल में निर्मित भोरमदेव मंदिर नागर शैली की वास्तुकला का एक अनुपम उदाहरण है जिसमें देवताओं और मानव आकृतियों की उत्कृष्ट नक्काशी के साथ मूर्तिकला प्रदर्शित की गई है। भोरमदेव मंदिर में भगवान शिव, भगवान गणेश सहित भगवान विष्णु के दस अवतारों को प्रदर्शित करती पत्थरों पर उकेरी गई प्रतिमायें हैं। मंदिर के गर्भ गृह में मुख्य प्रतिमा शिवलिंग की है। इस अवसर पर युवा टीम के अध्यक्ष दुर्गेश देवांगन सहित बड़ी सँख्या में समाज के लोग उपस्थित थे।