ब्यूरो रिपोर्ट
एसआईआर: मतदाता सूची में नाम जोड़ने के लिए घोषणा पत्र अनिवार्य
आवश्यक दस्तावेज बिना प्रक्रिया पूर्ण नहीं
मुंगेली . मतदाता सूची में नाम जुड़वाने के नियमों में निर्वाचन आयोग ने महत्वपूर्ण संशोधन करते हुए अब फॉर्म-6 के साथ घोषणा पत्र और पासपोर्ट साइज रंगीन फोटो एवं आयोग के द्वारा सुझाए गए 11 दस्तावेजों में से कोई एक अनिवार्य कर दिया है। आयोग ने स्पष्ट किया है कि दस्तावेजों की कमी या गलत जानकारी मिलने पर आवेदन स्वीकृत नहीं किया जाएगा। इस संबंध में 16 दिसंबर से 15 जनवरी तक विधानसभावार स्थापित क्लस्टर में प्राप्त आवेदनों का दावा-आपत्ति लिया जाएगा। निर्वाचन आयोग के अनुसार मतदाता सूची में नाम जोड़ने के लिए आवेदक को स्वयं से जुड़े सभी आवश्यक दस्तावेजों की सही जानकारी देनी होगी।
घोषणा पत्र में क्या-क्या देना होगा
आवेदक को अपने परिवार के नाम, पता, जन्मतिथि, पूर्व निवास क्षेत्र तथा मतदान स्थल से संबंधित समस्त जानकारी स्पष्ट रूप से देनी होगी। आयोग के नियमों के अनुसार, एसआईआर में आवश्यक दस्तावेजों का मिलान किए बिना नाम सूचीबद्ध नहीं किया जाएगा। नए मतदाताओं को नाम जुड़वाने के लिए निर्वाचन आयोग द्वारा निर्धारित फार्म 06 में बताए गए जन्म एवं निवास से संबंधित आवश्यक दस्तावेज प्रस्तुत करने होंगे।
एसआईआर फ़ॉर्म का स्टेटस घर बैठे ऐसे करें चेक
चुनाव आयोग द्वारा मतदाता सूची में नाम जुड़ने या संशोधन के लिए हर साल विशेष अभियान चलाया जाता है। बड़ी संख्या में लोग डिजिटल माध्यम से फ़ॉर्म सबमिट तो कर देते हैं, लेकिन कई बार यह पता नहीं चलता कि फ़ॉर्म सही तरह से फाइनल सबमिट हुआ है या नहीं। इस समस्या का समाधान करते हुए आयोग ने ऑनलाइन स्टेटस चेक की सुविधा शुरू की है। इस डिजिटल सुविधा से मतदाता केवल कुछ चरणों में अपने फ़ॉर्म की स्थिति जान सकते हैं।
एसआईआर फार्म का स्टेटस जानने के लिए सबसे पहले voters.eci.gov.in या गूगल पर nvsp.in टाईप कर एंटर करें। उसके बाद होमपेज पर वोटर पोर्टल/सर्विसेज़ विकल्प चुनें, मोबाइल नंबर व ओटीपी दर्ज कर लॉगिन करें, लागिन के बाद डैशबोर्ड में फॉर्म स्टेटस विकल्प पर क्लिक करें। इसके बाद यह साफ दिख जाएगा कि आपका फ़ॉर्म फाइनल सबमिट हुआ है या अभी किसी सुधार की आवश्यकता है। चुनाव आयोग का मानना है कि इस डिजिटल सत्यापन से पारदर्शिता बढ़ेगी और मतदाताओं को पता चलेगा कि उनका विवरण मतदाता सूची में अपडेट हुआ है या नहीं। इससे विशेष पुनरीक्षण कार्य और भी सुगम होगा तथा नागरिकों को बार-बार कार्यालयों के चक्कर लगाने से राहत मिलेगी।
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