ब्युरो चीफ विकास तिवारी
शौंचालय निर्माण में भ्रष्टाचार के मामलें में केंदा सचिव निलंबित
करगीरोड कोटा – केंद्र सरकार की महत्वपूर्ण योजना में पलीता लगाने वाले सचिव को आखिरकार निलंबित कर दिया गया सचिव की मनमानी और हेकडी के कारण सरकार की योजना से पंचायत के लोग वंचित हो रहे थे सचिव के मनमाने रवैय्ये की पूर्व में काफी शिकायत रही मामला मिडिया में आने के बाद जांच उपरांत सचिव पर निलंबन की कार्यवाही हुई।
जिला पंचायत के आदेश में दिनांक 25.09.18 के द्वारा प्राप्त प्रस्ताव के अधार पर कोटा जनपद पंचायत के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत केंदा के पूर्व सचिव शिवकुमार तिवारी जो वर्तमान में मोहली पंचायत सचिव थे जिनके द्वारा स्वच्छ भारत मिशन योजना के अंतर्गत निर्मित शौंचालय में गंभीर वित्तीय अनिमितता किये जाने एवं उच्चअधिकारियों के आदेशों की अवहेलना करने के फलस्वरूप तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया निलंबन अवधि में इनका मुख्यालय कार्यालय जनपद पंचायत कोटा निर्धारित किया गया है ।
केंदा पंचायत में सचिव रहते हुए शिवकुमार तिवारी नें भारी भ्रष्टाचार किया इन्होने शासन की महत्वपूर्ण योजना में पलीता लगाने का काम किया है हितग्राही मूलक योजना में लाभार्थीयो को इससे दूर रखा पूर्व में भी कई बार गांव वालों इनकी शिकायत कोटा जनपद में की थी लेकिन उस समय सचिव अपनी पहुंच के चलते बच गया था पंचायत को फर्जी ओडीएफ कराकर भ्रष्टाचार करने का मामला मिडिया में आने के बाद उच्चअधिकारियों नें मामला संञान में लेते हुए कार्यवाही की ।
सचिव तिवारी नें सरपंच के साथ मिलकर शौंचालय निर्माण की राशि में जमकर बंदरबांट की गई है केंदा ग्राम पंचायत के लोग सचिव की मनमानी से त्रस्त थे गांव वालों ने बताया कि शौंचालय का निर्माण भी गुणवत्ताविहिन कराया गया है विरोध करने पर शौंचालय नही बनने की बात कही जाती थी ।
इस बारें में कोटा जनपद सीईओ एवं निलंबित सचिव से विस्तृत जानकारी के लिए संपर्क किया गया लेकिन संपर्क नही हो पाया।
बहरहाल कोटा ब्लाक़ को छह माह पूर्व ही कागजों पर ओडीएफ घोषित कर दिया गया लेकिन जमीनी हकीकत अभी भी कुछ और ही है जनपद के अंतर्गत आने वाली बहुत सी पंचायतों में शौंचालय की स्थिति आधी अधूरी पडी है वाह वाही लूटने ब्लाक को ओडीएफ तो घोषित कर दिया गया लेकिन जिनके लिए योजना बनी कभी उनके बारे में ठिक से नही सोंचा गया पंचायत में बहुत से लोगों ने अपने स्वयं के पैसे लगाकर शौंचालय का निर्माण कराया लेकिन आज तक उन्हे उनकी राशि नही मिल पाई जो जिम्मेदार लोगों पर कई सवाल उठाता है आखिर कब तक अधिकारी ऐसा ही रवैय्या अपनाते रहेंगें कब कागजों को छोड जमीनी हकीकत में आएंगे।