कांग्रेस ने कृषि उपज के क्रय-विक्रय से संबंधित तीन अध्यादेशों के खिलाफ शनिवार को विरोध जताया,,

छग ब्यूरो चीफ पी बेनेट

कांग्रेस ने कृषि उपज के क्रय-विक्रय से संबंधित तीन अध्यादेशों के खिलाफ शनिवार को विरोध जताया। पार्टी ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार इनके माध्यम से देश में ‘ईस्ट इंडिया कंपनी’ बना रही है और यह सब खेती-किसानी को बड़े उद्योगपतियों के हाथों गिरवी रखने का षड्यंत्र है।

कांग्रेस प्रदेश सचिव- जागेश्वरी वर्मा
छ.ग.प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सचिव एवं जिला पंचायत मुंगेली के सदस्य जागेश्वरी घनश्याम वर्मा

पथरिया- वर्मा ने कहा कि कांग्रेस इन अध्यादेशों का सड़क पर पुरजोर विरोध करेगी।केंद्र ने हाल ही में तीन अध्यादेश जारी किए हैं। इनमें कृषि उत्पाद व्यापार व वाणिज्य (संवर्द्धन व सरलीकरण) अध्यादेश, किसान (सशक्तिकरण व संरक्षण) मूल्य आश्वासन समझौता और कृषि सेवा अध्यादेश व आवश्यक वस्तु (संशोधन) शामिल हैं। कई किसान संगठन इनका विरोध कर रहे हैं

तीनों अध्यादेशों को बताया ‘काला कानून’
जागेश्वरी वर्मा ने कहा, ‘मोदी सरकार ने खेतों और अनाज मंडियों पर तीन अध्यादेशों का क्रूर प्रहार किया है। ये ‘काले कानून’ देश में खेती व करोड़ों किसानों, मजदूरों व आढ़तियों को खत्म करने की साजिश के दस्तावेज हैं। खेती-किसानी को पूंजीपतियों के हाथ गिरवी रखने का यह सोचा-समझा षडयंत्र है।’उन्होंने आरोप लगाया, ‘मोदी सरकार पूंजीपति मित्रों के जरिए ‘ईस्ट इंडिया कंपनी’ बना रही है। किसान को ‘लागत+50 प्रतिशत मुनाफे’ का सपना दिखा कर सत्ता में आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीन अध्यादेशों के माध्यम से खेती के खात्मे का पूरा उपन्यास ही लिख दिया है।’

,,,’मोदी सरकार किसानों के लिए भस्मासुर’
श्रीमती वर्मा ने कहा, ‘अन्नदाता किसान के वोट से जन्मी मोदी सरकार आज किसानों के लिए भस्मासुर साबित हुई है। यह सरकार 2014 में सत्ता में आते ही किसानों के भूमि मुआवजा कानून को खत्म करने का अध्यादेश लाई थी। तब भी मुंह की खाई थी और इस बार भी मुंह की खाएंगे।’

कांग्रेस नेत्री जागेश्वरी वर्मा ने दावा किया कि अनाज मंडी-सब्जी मंडी को खत्म करने से कृषि उपज खरीद व्यवस्था पूरी तरह नष्ट हो जाएगी। ऐसे में किसानों को न तो न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) मिलेगा और न ही बाजार भाव के अनुसार फसल की कीमत।

इन अध्यादेशों से किसान को होगा नुकसान

उन्होंने कहा कि इसका जीता जागता उदाहरण बिहार है जहां साल 2006 में अनाज मंडियों को खत्म कर दिया गया था। आज बिहार के किसान की हालत बद से बदतर है। श्रीमती वर्मा ने इसे किसानों को बर्बाद करने की साजिश करार दिया।कांग्रेस नेत्री ने कहा, ‘अगर किसान की फसल को मुट्ठीभर कंपनियां मंडी में सामूहिक खरीद की बजाय उसके खेत से खरीदेंगी, तो फिर मूल्य निर्धारण, वजन व कीमत की सामूहिक मोलभाव की शक्ति खत्म हो जाएगी। स्वाभाविक तौर से इसका नुकसान किसान को होगा।’करोड़ों लोगों की आजीविका पर आएगा संकट
जागेश्वरी वर्मा ने कहा कि मंडियां खत्म होते ही अनाज-सब्जी मंडी में काम करने वाले लाखों करोड़ों मजदूरों, आढ़तियों, मुनीमों, ढुलाईदारों, ट्रांसपोर्टरों, शेलर आदि की रोजी रोटी और आजीविका खत्म हो जाएगी। इससे प्रांतों की आय भी खत्म हो जाएगी।

उन्होंने दावा किया, ‘कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि अध्यादेश की आड़ में मोदी सरकार असल में ‘शांता कुमार कमेटी’ की रिपोर्ट लागू करना चाहती है, ताकि एफसीआई के माध्यम से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद ही न करनी पड़े और सालाना 80,000 से एक लाख करोड़ रुपए की बचत हो।’

केंद्र ने किसानों को उनके हाल पर छोड़ दिया
उनके मुताबिक, ‘अध्यादेशों में न तो खेत मजदूरों के अधिकारों के संरक्षण का कोई प्रावधान है और न ही जमीन जोतने वाले बंटाईदारों के अधिकारों के संरक्षण का। ऐसा लगता है कि उन्हें पूरी तरह से खत्म कर अपने हाल पर छोड़ दिया गया है।’

कांग्रेस नेता जागेश्वरी वर्मा ने कहा, ‘महामारी की आड़ में ‘किसानों की आपदा’ को मुट्ठीभर ‘पूंजीपतियों के अवसर’ में बदलने की मोदी सरकार की साजिश को देश का अन्नदाता किसान व मजदूर कभी नहीं भूलेगा। भाजपा को इस किसान विरोधी दुष्कृत्य के परिणाम भुगतने पड़ेंगे।’

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