शनिचरी। प0 चंपारण के शनिचरी प्रखंड के सीडीपीओ कार्यालय मे एक वर्ष से सीडीपीओ के नही रहने से प्रखंड के 185 आँगन बाडी केन्द्र के 74 सौ नौनिहाल बच्चो को कुपोषण का शिकार महीनो से होना पड रहा है। साथ ही 1 हजार 4 सौ 80 गर्भवती एवं धात्री महिलाओ को टीएचआर से वंचित होना पड रहा है। जबकि 7 हजार 7 सौ 70 किशोरी बालिकाओ को सरकार के जनकल्याणकारी योजना किशोरी सशक्तिकरण का लाभ दो वर्षो से नही मिल पा रहा है। कार्यालय मे कार्यरत कर्मीयो के लापरवाही के वजह से कई सेविका सहायिकाओ का मानेदय वर्षो से लंबित पडा हुआ है। इसको लेकर बिहार राज्य आंगनबाड़ी कर्मचारी युनियन संघ के सदस्यो की बैठक सोमवार को मटकोटा मठ परिसर मे कर आक्रोश जाहिर किया गया। बैठक मे सरकार और स्थानीय जनप्रतिनिधियो की भर्त्सना की गई। आशा पति सह संघ के प्रखंड संरक्षक व्रजकिशोर सिंह ने बताया कि मार्च माह मे ही वर्षो से वकाया टीएचआर की राशि बैक मे पडा है। लेकिन सीडीपीओ की रिक्त पद और कार्यालय के कर्मीयो के लापरवाही के कारण प्रभावित हो रहा है। जिसका खामियाजा भारत सरकार के जनकल्याणकारी योजना आईसीडीएस पर सीधा असर पड़ता नजर आ रहा है। बिहार राज्य आंगनबाड़ी कर्मचारी युनियन संघ की प्रखंड अध्यक्ष रम्भा देवी फोन पर जानकारी देते हुए बतायी है कि स्थानीय जनप्रतिनिधियो और प्रशासनिक उपेक्षा के कारण प्रखंड मे आईसीडीएस योजनाओ पर ग्रहण लग गया है। उन्होंने कहा कि एक वर्ष से सीडीपीओ, कार्यालय सहायक का पद रिक्त है। सीडीपीओ कार्यालय अंचल कार्यालय के छोटे-छोटे दो कमरो मे संचालित हो रहा है। जिसमे आंगनबाड़ी केंद्र पर वितरण करने वाले वर्तन से भरा हुआ है। सीडीपीओ कार्यालय मे बैठना तो दूर की बात है खडा रहने का जगह नही मिल पाती है। सेविकाओ की बैठक करने के लिए खुले मे महिलाओ को बैठना पडता है जिससे आये दिन बिमारियो का शिकार होना पड़ता है। न महिलाओ के लिए शौचालय है और न ही चापाकल। उन्होंने कहा कि आज भी कई दर्जन ऐसे आंगनबाड़ी केंद्र है जो फूस की झोपड़ी मे संचालित हो रहा है। ऐसे मे सरकार के कल्याणकारी योजनाओ को क्रियान्वयन करने मे पदाधिकारी कर्मी और संसाधन अवरोध बने हुए है।
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