छग ब्यूरो चीफ़ बेनेट,(7389105897)
मुंगेली जिले में भी फूलों की खेती प्रारंभ
गेंदा फूलों की खेती से पैसों की फैलेगी खुशबू
मुंगेली 01 अक्टूबर 2020// छत्तीसगढ़ की मुंगेली जिला कृषि प्रधान जिला है। यहां के किसानों द्वारा धान के अलावा दलहन और तिलहन फसलों की खेती की जाती है। कलेक्टर श्री पी.एस.एल्मा के कुशल मार्गदर्शन और उद्यानिकी विभाग की सहयोग से अब किसानों का रूझान कम लागत और न्यूनतम मानव श्रम में अधिक लाभ देने वाले गेंदा फूलों की खेती की ओर बढ़ रहा है। इसी क्रम में जिला मुख्यालय मुंगेली के कृषक श्री ऊदय सोनकर, श्री दिलीप पटेल और जिला मुख्यालय के समीप के ग्राम संगवाकापा-देवरी के कृषक श्री मोहित राम पटेल द्वारा कम लागत में ज्यादा मुनाफा देने वाले और धार्मिक एवं सामाजिक उत्सवों में बड़ा महत्वपूर्ण भूमि का अदा करने वाले गेंदा फूल का फसल लिया जा रहा है । अब मुंगेली जिले में गेंदा फूलों की खेती से पैसों की खुशबू फैलेगी।
गेंदा की फसल कम लागत में ज्यादा मुनाफा देने वाले फसल है।
इसकी खेती वर्ष भर की जा सकती है। इसके फूलों का धार्मिक एवं सामाजिक उत्सवों में बड़ा महत्व है। इसकी खेती आजीविका का जारिया भी साबित हो सकता है। जिले में गेंदा फूलों की खेती करने वाले श्री ऊदय सोनकर, श्री दिलीप पटेल और श्री मोहित राम पटेल ने बताया कि उनके द्वारा लगभग एक-एक एकड़ क्षेत्र में गेंदा की खेती की गई है। फसल को देखते हुए उन्हे अच्छी आमदनी होने की संभवना है। क्योकि लाॅकडाउन के अवधि में भी गेंदा फूल की कीमत प्रतिकिलों 30 से 40 रूपये में प्राप्त हुआ है। सामान्य स्थिति और धार्मिक एवं सामाजिक कार्यक्रमों के अवसरों पर इनकी कीमत प्रतिकिलों 80 से 100 रूपये तक हो जाएगी। इससे उन्हे प्रति एकड़ लगभग 60 से 70 हजार रूपये की अतिरिक्त आमदनी प्राप्त होगी। इसी संदर्भ में कृषक श्री ऊदय सोनकर ने बताया कि परम्परागत खेती से अलग जब गेंदा फूल की खेती शुरू की तो मन में एक डर था कि पता नही क्या होगा। लेकिन पहले साल में ही लाभ दिखने लगा। उन्होने बताया कि किसानों को गेंदा के उत्पादन में कई तरह से लाभ मिलते है। जो किसान शहर के समीप खेती करता है, उसके लिए यह अधिक लाभकारी होता है। इसी तरह कृषक श्री दिलीप पटेल ने बताया कि उनके द्वारा टेंट हाउस का कार्य किया जाता है। लेकिन लाॅकडाउन के कारण टेंट हाउस का कार्य लगभग चैपट सा हो गया है। ऐसे समय में उनकी गेंदा की खेती ने जीवनयापन में पूरा साथ दिया। उन्होने बताया कि यदि गेंदा की खेती नही की होती तो उनके परिवार के सामने रोजी-रोटी के समस्या आ जाती। उन्होने बताया कि नये जमाने में खेती बाडी के ढ़र्रे और सोच बदल चुका है। कम लागत में अधिक आय देने वाले गेंदा की खेती अपने और अपने परिवार की खुशहाली में चार चांद लगा सकता है।