प्रसिद्ध कवि श्री त्रिलोक महावर की कविता पर केंद्रित विमर्श कविता का एक नया रूपाकार लोकार्पित

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प्रसिद्ध कवि श्री त्रिलोक महावर की कविता पर केंद्रित विमर्श कविता का एक नया रूपाकार लोकार्पित

मुंगेली 12 नवम्बर 2020// प्रसिद्ध कवि श्री त्रिलोक महावर की कविता पर केंद्रित किताब ‘‘विमर्श कविता’’ का नया रूपाकार का लोकार्पण विगत दिनों किया गया। कोरोना को दृष्टिगत रखते हुए हिन्दी के सर्वाधिक महत्वपूर्ण कवि एवं लेखक श्री विनोद कुमार शुक्ल द्वारा कवि श्री महावर का कविता पर केंद्रित किताब विमर्श कविता का नया रूपाकार का लोकार्पण वर्चुवल किया गया। उल्लेखनीय है कि प्रसिद्ध कवि श्री महावर की कविताओं पर समय-समय पर की गई समीक्षा और टिप्पणी पर एकाग्र कविता का नया रूपाकार इसी दृष्टि से महत्वपूर्ण उपक्रम है। जिसमें लगभग 30 आलोचकों, सुधिपाठकों और मित्रों ने कवि श्री त्रिलोक महावर के काव्य संग्रह पर अपनी प्रतिक्रियाएं व्यक्त की है। इसका चयन प्रसिद्ध कथाकार शंशाक ने तथा इसका प्रकाशन पहले पहल प्रकाशन भोपाल द्वारा किया गया है। संग्रहित गद्य को नया रूपाकार प्रदान करने में कवि कथाकार श्री राम कुमार तिवारी की भूमिका भी महत्वपूर्ण रही है।
हिन्दी के सुप्रसिद्ध कवि एवं लेखक श्री विनोद कुमार शुक्ल ने लोकार्पण समारोह संबोधित करते हुए कहा कि कविताओं में स्मृतियों का लौट आना अच्छा लगता है। स्मृतियों में लौटना सामाजिकता की गहराई को प्रकट करता है। श्री त्रिलोक महावर स्थानीयता से जुड़े हुए कवि हैं। इसलिए अनेक कविताओं में स्थानीयता के बिम्ब हैं, जिसे उन्होंने एक तरह से स्थायी बना दिया है। पायली, सोली जैसे नापने की अनेक प्रचलित स्थानीय मापक घटकों का धीरे धीरे विलुप्त हो जाना और श्री त्रिलोक महावर की कविताओं में उन पुरानी चीजों का वापस लौट आना, मुझे प्रीतिकर लगता है। मैं जब भी लिखता हूँ मेरे लेखन में यह बदला हुआ समय कभी नहीं आता है, अपितु बीती हुई घटनाएँ या स्मृतियाँ ही बार-बार मेरे लेखन में लौट आती हैं। श्री त्रिलोक महावर की कविता इतना ही नमक एवं कई कविताओं को अनेक लोगों ने इस किताब में उद्धत किया है। इस किताब में जहाँ-जहाँ भी त्रिलोक महावर की कविताएँ उद्धृत की गई हैं उसे मैंने सबसे पहले पढ़ा है। बस्तर के लोकेल को कवि श्री त्रिलोक महावर ने अपनी कविताओं में गम्भीरता से चित्रित किया है। स्थानीयता उनकी कविताओं में बार-बार दिखाई देती है। इतना ही नमक कविता भी इसका एक विरल उदाहरण है।
सुप्रसिद्ध कवि एवं लेखक श्री संजीव बख्शी ने कहा कि कवि श्री त्रिलोक महावर की कविताओं पर विमर्श में 30 आलोचको ने अपनी बात कहीं है, जिसे इस किताब में संकलित किया गया है। ऐसा काम संभवता यदा कदा की होती है कि कविता पर जो अपनी बात कहे उसे भी संकलित कर लिया जाए। कवि और समीक्षक श्री रमेश अनुपम ने कहा कि कवि श्री त्रिलोक महावर के कविता में स्थानीयता गहरी रूप में विद्यमान है। उन्होने कहा कि कविता का नया रूपाकार इस अर्थ में एक महत्वपूर्ण किताब है क्योंकि इसमें कविता के 30 सुधिपाठको ने अलग-अलग ढ़ग से कवि श्री त्रिलोक महावर की कविताओं की विवेचना की है। प्रसिद्ध कवि श्री त्रिलोक महावर ने अपनी रचना प्रक्रिया तथा कविताओं के विषय में अपनी बात रखते हुए कविता का नया रूपाकार पर अपने विचार प्रगट करते हुए कहा कि कव्य यात्रा की शुरूवात में बस्तर के जगल, पहाड़, नदी, झरने और आदिवासी जन-जीवन की छबिया मेरी कविता में सहज रूप से आई है। समय के साथ-साथ जीवन के विरल अनुभवों ने मुझे जीवन और समाज को देखने की नई दृष्टि प्रदान की है। जिसके फलस्वरूप मेरी कविताओं में समाज की अनेख प्रचलित और अप्रचलित छबियों के लिए स्पेंस निर्मित हुई। नौकरी में रहते हुए तथा अनेक स्थानों पर स्थानांतरित होते हुए जीवन, समाज और प्रकृति को अत्यंत निकट से देखने का अवसर मिला, जिसने मेरे अनुभव संसार को समृद्ध किया है। उन्होने कहा कि एक ओर मैने जहां मनुष्य की अपराजेय जिजीविषा को देखा वही दूसरी ओर समाज की सामुहिंता से मेरा निकट का परिचय हुआ। इस तरह के समतल तथा उबड-खाबड़ रास्तों से गुजरते हुए मैने कोशिश की कि कविता का दामन मुझसे कभी न छुटे। इस तरह कविता मेरे लिए सांस लेने की तरह मेरे जीवन का एक अनिवार्य हिस्सा बन गई।
कविता का नया रूपाकार में जिन कवियों, आलोचको, सुधिपाठकों और मित्रों की प्रतिक्रियाएं प्रकाशित है उनमें श्री राजेश जोशी, श्री नरेंद्र जैन, श्री शंशाक, श्री भालचंद्र जोशी, श्री तेजिंदर, श्री राम कुमार तिवारी, श्री सत्यनारायण, श्री महेश कटारे, श्री अजित प्रियदशीय, श्री आशुतोष, श्री सुधीर सक्सेना, श्री उमाशंकर सिंह परमार, श्री नासिर अहमद सिकन्दर, श्री कैलाश मण्डेलकर, श्री शाकिर अली, श्री पयोधि ओम निश्चल, श्री लालमणी तिवारी, श्री नारायण लाल परमार, श्री रऊफ परवेज, श्री मदन आचार्य, श्री सतीश कुमार सिंह, श्री नीलोत्पल रमेश, उर्मिला आचार्य, श्री राधेलाल विजधावने, श्री बच्चन पाठक, श्री सलिल राम अधीन, श्री राधव आलोक, श्री विजय सिंह प्रमुख है।
उल्लेखनीय है कि कवि श्री महावर के अब तक विस्मित ना होना, इतना ही नमक , नदी के लिए सोचो , हिज्जे सुधारता है चांद, शब्दों से परे 5 कविता संग्रह आ चुके हैं तथा पं मदन मोहन मालवीय स्मृति पुरस्कार,नई दिल्ली , अंबिका प्रसाद दिव्य पुरस्कार एवं पंजाब कला साहित्य अकादमी राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित हो चुके है। श्री महावर वर्तमान में दुर्ग संभाग के कमिश्नर है। इसके पूर्व कवि श्री महावर धमतरी, जांजगीर चापा तथा मुंगेली जिले के कलेक्टर और बिलासपुर एवं सरगुजा संभाग के कमिश्नर थे।

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