महिला एवं विकास विभाग ने तीन बालिकाओं का बाल विवाह रोकने में हुए सफल

छःग ब्यूरो चीफ पी बेनेट 7389105897

महिला एवं विकास विभाग ने तीन बालिकाओं का बाल विवाह रोकने में हुए सफल 

मुंगेेली  //   कलेक्टर  पी.एस एल्मा की निर्देश पर महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा बाल विवाह रोकने के लिए लगातार प्रयास किया जा रहा है। इसी तारतम्य में महिला एवं बाल विकास विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी  राजेन्द्र कश्यप के मार्गदर्शन में जिला बाल संरक्षण इकाई मुंगेली ने तीन बालिकाओं का बाल विवाह रोकने में सफल हुए। जिला बाल संरक्षण अधिकारी ने आज यहां बताया कि जरहागांव थाना क्षेत्र के एक ग्राम मे एक नाबालिक के शादी हो रही थी। सूचना पर विभाग की टीम तुरंत कार्यवाही करते हुए संबंधित गांव पहुंची। बारात दूसरे दिन आने वाली थी। जहां परिजनों को समझाईस देते हुए बाल विवाह न कराने शपथ पत्र लिया गया। इसी तरह लोरमी थाना क्षेत्र के एक ग्राम में नाबालिग लड़की के यहां बारात आने वाली थी। जहां टीम द्वारा गांव पहुंचकर परिजनों को समझाईस देते हुए बाल विवाह न कराने शपथ पत्र लिया गया। इसी क्रम में लोरमी थाना क्षेत्र के ही एक ग्राम में एक नाबालिग बालिका का विवाह से पहले ही बाल विवाह रोकथाम की कार्यवाही की गई। बाल विवाह रोकथाम टीम के द्वारा कार्यवाही करते हुए बालिकाओं का उम्र सत्यापन संबंधी दस्तावेज शैक्षणिक अंकसूची की जांच की गई। दस्तावेज के आधार पर सभी बालिकाओं की आयु 18 वर्ष से कम होना पाया गया। जो बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के प्रावधानों के अनुसार बालिकाओं की उम्र विवाह योग्य नही था। इस पर बाल विवाह संयुक्त टीम ने बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 की जानकारी देते हुए बाल विवाह स्थगित कराया गया। बाल विवाह रोकथाम टीम के द्वारा बालिका एवं बालक के परिजनों को बताया कि बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के प्रावधानों के अनुसार लड़की की आयु 18 वर्ष से कम व लड़का की आयु 21 वर्ष से कम उम्र के विवाह को प्रतिबंधित किया है। बाल विवाह केवल एक सामाजिक बुराई ही नहीं अपितु कानूनन अपराध भी है। बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के अंतर्गत बाल विवाह करने वाले वर एवं वधु के माता-पिता, सगे संबंधी, बाराती यहां तक कि विवाह कराने वाले पुरोहित पर भी कानूनी कार्यवाही की जा सकती है। इस अधिनियम का उल्लंघन करने पर 2 साल तक के कठोर कारावास या 1 लाख रूपये तक जुर्माना दोनो से दण्डित किया जा सकता है। बाल विवाह के कारण बच्चों में कुपोषण, शिशु-मृत्यु दर एवं मातृ-मृत्यु दर के साथ घरेलू हिंसा में भी वृद्धि होती है। जिला बाल संरक्षण अधिकारी श्रीमती अंजूबाला शुक्ला द्वारा बाल विवाह नही कराने जिलेवासियों से अपील की गई है। उन्होंने बताया कि बाल विवाह रोकथाम हेतु अभियान आगामी दिवसों मे भी जारी रहेगी। बाल विवाह रोकथाम अभियान के दौरान संरक्षण अधिकारी छविलाल साहू, सामाजिक कार्यकर्ता अजय कंवर, आउटरीच वर्कर शनिराम पोर्ते, कमल यादव, श्रीमती रंजीता सिंह, चाइल्डइलाइन टीम सदस्य लक्ष्मीनारायण सोनवानी, पुलिस विभाग के आरक्षक, ग्राम पंचायत सरपंच, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता उपस्थित थे। 

 

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