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छत्तीसगढ़ के विकास में जनता की भागीदारी सुनिश्चित करते हुए गढ़ा जा रहा नवा छत्तीसगढ़ : मुख्यमंत्री भुपेश बघेल
जिला स्तर पर जनहितकारी योजनाओं तथा अभियान के संचालन की दी गई है खुली छूट
जिला स्तर पर विशेष रणनीति से बन रही है विकास की नई राह मुंगेली जिले के नागरिकों ने भी उत्साह पूर्वक तन्मयता से सुना लोकवाणी
मुंगेली // मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की मासिक रेडियोवार्ता लोकवाणी की 21वीं कड़ी का प्रसारण आज 12 सितम्बर को किया गया। मुख्यमंत्री श्री बघेल लोकवाणी में *विशेष रणनीति से विकास की नई राह* विषय पर प्रदेशवासियों से बात की। लोकवाणी का प्रसारण छत्तीसगढ़ स्थित आकाशवाणी के सभी केन्द्रों, एफ.एम. रेडियो और क्षेत्रीय न्यूज चैनलों से सुबह 10.30 से 10.55 बजे तक किया गया। मुख्यमंत्री श्री बघेल की *विशेष रणनीति से विकास की नई राह* विषय पर आयोजित मासिक रेडियो वार्ता लोकवाणी को मुंगेली जिले के नागरिकों ने भी उत्साह पूर्वक सुना।
मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा कि गणेश चतुर्थी, नवा खाई तथा विश्वकर्मा जयंती जैसे कई पावन पर्वों के अवसर पर इस महीने के लोकवाणी का प्रसारण हो रहा है। आप सभी सावधानी तथा सुरक्षा के साथ इन पर्वों को खुशी-खुशी मनाते हुए सामाजिक एकता, सौहार्द्र और समरसता की हमारी महान विरासत को आगे बढ़ाएं। उन्होंने कहा कि प्रशासनिक इकाई के रूप में जिलों को महत्व देते हुए हमने अल्प समय में ही 5 नये जिले बनाने की पहल की है। साथ ही जिला स्तर पर जनहितकारी योजनाएं, कार्यक्रम और अभियान संचालित करने की खुली छूट दी है, ताकि स्थानीय जनता की सोच, इच्छा और अपेक्षा के अनुरूप काम करने में जिला प्रशासन अधिक सक्षम हो सके। रेडियो कार्यक्रम लोकवाणी में बताया गया कि छत्तीसगढ़ के सभी जिलों के समन्वित विकास के लिए आमजनता की समस्याओं को संवेदनशीलता के साथ सुनने और स्थानीय जरूरत के हिसाब से कदम उठाने के लिए प्रशासन को फ्री-हेंड दिया गया है। इस तरह आमजनों के जीवन-स्तर का तीव्र उन्नयन और उनकी आजीविका के लिए स्थायी समाधान पर विशेष जोर दिया जा रहा है।
मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा कि आर्थिक तंगी और कोरोना जैसी वैश्विक महामारी से हमारे प्रदेशवासियों को किसी तरह की तकलीफ न हो, बल्कि उनकी सुविधाओं में बढ़ोत्तरी का सिलसिला लगातार आगे बढ़ता रहे, इस बात को ध्यान में रखते हुए हमने छत्तीसगढ़ में अनेक नये-नये उपाए किए हैं। उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ में किसानों के हित को ध्यान में रखते हुए अब लघु धान्य फसलों का उत्पादन बढ़ाने के साथ इन्हें बेहतर दाम तथा सुविधाएं देने की पहल की है। इसके लिए छत्तीसगढ़ मिलेट मिशन की स्थापना की गई है और उत्पादन में वृद्धि तथा प्रसंस्करण के लिए व्यापक कार्ययोजना बनाई जा रही है। लघु धान्य फसलें पोषण की दृष्टि से बहुत उपयोगी होती है लेकिन इन फसलों को अन्य कृषि उत्पादों की तुलना में कम महत्व मिलता रहा है। इन फसलों का उत्पादन करने वाले किसानों को भी अन्य किसानों की तुलना में कम महत्व मिलता रहा है। हमने इसे ध्यान में रखते हुए आवश्यक पहल की है। राजीव गांधी किसान न्याय योजना के विस्तार में इस बात का ध्यान रखा गया है कि जो किसान धान के बदले कोदो-कुटकी-रागी की फसल लेंगे, उन्हें प्रति एकड़ 10 हजार रुपए की आदान सहायता दी जाएगी, जो फसल बेचने से होने वाली उनकी आय के अतिरिक्त होगी। मैंने विधानसभा में घोषणा की थी कि आदिवासी अंचलों में उपजाई जाने वाली कोदो-कुटकी और रागी फसल की खरीदी समर्थन मूल्य पर की जाएगी। मुझे यह बताते हुए खुशी है कि हमने कोदो-कुटकी का समर्थन मूल्य 3 हजार रुपए प्रति क्विंटल और रागी का समर्थन मूल्य 3 हजार 377 रुपए प्रति क्विंटल तय कर दिया है। इनको खरीदने की व्यवस्था भी लघु वनोपज संघ के माध्यम से कर दी गई है।छत्तीसगढ़ में सुविधाओं में बढ़ोत्तरी के सिलसिला में मैंने निर्देश दिए थे कि सड़क, सिंचाई, बिजली या ऐसी किसी भी अधोसंरचना की बड़ी परियोजनाओं को हाथ में लेने के साथ ही, इस बात पर ध्यान दिया जाए कि अधूरी पड़ी या किसी भी कारण से अनुपयोगी हो गई परियोजनाओं को प्राथमिकता से पूरा किया जाए, जिससे उस परियोजना में निवेश हो चुकी धनराशि का लाभ जनता को मिल सके। मुझे खुशी है कि जिला प्रशासन ने पहल करके सिपकोना नहर को 22 की जगह 51 गांवों की जीवन-रेखा बनाने की दिशा में काम शुरू किया। इस तरह रणनीति अपनाने से पहले जहां सिर्फ 22 गांवों को पानी मिल पाता था, वहीं अब 51 गांवों में पहुंचेगा। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री हाट-बाजार क्लीनिक योजना से 11 लाख से अधिक लोगों का इलाज हुआ। इस तरह से मलेरिया और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के समाधान से सुपोषण को लेकर किए जा रहे प्रयासों को भी बल मिला। मलेरियामुक्ति का अभियान महिलाओं और बच्चों के लिए वरदान साबित हुआ है। इसका लाभ सुरक्षा बलों तथा सभी निवासियों को मिला है। मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि वैश्विक महामारी कोरोना के चलते पूरे देश की अर्थव्यवस्था डगमगा गई थी, कोरोना ने हमारे देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया था। ऐसी स्थिति में भी चुनौतियों का सामना करते हुए बच्चों की पढ़ाई-लिखाई जारी रहे, इसके लिए ‘पढ़ई तुंहर दुआर’ कार्यक्रम प्रारंभ किया गया। cgschool.in नाम से एक पोर्टल का निर्माण कर ऑनलाइन कक्षाएं प्रारंभ की गईं। इस ऑनलाइन पढ़ाई से घर बैठे ही लाखों बच्चे सुरक्षित पढ़ाई करने लगे। इंटरनेट की पहुंच नहीं होने वाले क्षेत्रों व ऐसे बच्चे जिनके पास मोबाइल नहीं था, उसे ध्यान में रखते हुए मोहल्ला कक्षा प्रारंभ की गई। हमारे प्रदेश के शिक्षकों ने पढ़ाने के लिए कई नवाचारी गतिविधियां आयोजित कीं। शिक्षकों की मेहनत से बच्चों का पढ़ाई से रिश्ता बना रहा बल्कि पढ़ाई और अधिक रोचक और व्यापक हो गई। हमारे गुरुजनों ने अपनी लगन, निष्ठा और नवाचार से समाज में शिक्षकों की प्रतिष्ठा को नई ऊंचाई दी है। इन नवाचारी प्रयासों को न केवल राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सराहना मिली बल्कि पुरस्कार भी मिले हैं। मैं चाहता हूं कि शिक्षक-शिक्षिकाओं ने कोरोना काल में जिस तरह शिक्षा के नए-नए प्रयोग किए, उसे आगे भी करते रहें। सरकारी स्कूलों को आधुनिक सुविधाओं से सजाने और इन स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों का आत्मविश्वास बढ़ाने की हमारी सोच एक बहुत बड़ा नवाचार है। स्वामी आत्मानंद इंग्लिश मीडियम स्कूल योजना के तहत 171 स्कूलों का उन्नयन कोरोना काल में ही हुआ है। अब मैंने निर्देश दिया है कि इसी की तर्ज पर उत्कृष्ट हिंदी माध्यम शाला भी विकसित की जाएं। यह नवाचार प्रदेश की सरकारी स्कूलों में आमूल-चूल परिवर्तन लाएगा और सामान्य तथा गरीब परिवारों के बच्चों का जीवन संवारेगा।
उन्होंने ने कहा कि सुराजी गांव योजना से छत्तीसगढ़ के जनजीवन में जो बदलाव आ रहा है, उससे तो मैं भी रोमांचित और अभिभूत हूं। सबसे खुशी की बात यह है कि हम लोग एक दिशा देते हैं तो आप लोग उसमें काम करने की नई-नई संभावनाएं खोज लेते हैं। यही तो नवाचार है। हमने तो नरवा, गरुवा, घुरुवा, बाड़ी को छत्तीसगढ़ की चार चिन्हारी के रूप में बचाने की सोच के साथ, एक नए रास्ते पर चलना शुरू किया था लेकिन आप लोगों ने अपनी मौलिक सूझबूझ से, उसे इतना व्यापक रूप दे दिया है कि उसमें नए-नए उत्पाद और नए-नए रोजगार के अवसर बनने लगे हैं। छत्तीसगढ़ में जल की उपलब्धता को लेकर बड़ी विलक्षण स्थिति है। हमारे प्रदेश में हिमालय के किसी ग्लेशियर से जल-धारा प्रवाहित नहीं होती। हमारी नदियां और नरवा हमारे लिए पानी के स्रोत हैं। इंद्रावती, महानदी, सोन, शिवनाथ, अटेम, महान व केलो आदि नदियों की संख्या तो सीमित हैं, लेकिन 2 से 11 किलोमीटर तक बहने वाले नालों की संख्या हजारों में है। इस तरह नरवा हमारी बड़ी अहम धरोहर हैं। निश्चित तौर पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से नदी-नालों में जल कम हुआ है। इसलिए हमने समय रहते ‘नरवा’ परियोजना पर बल दिया। अभी तक लगभग 32 सौ नालों में जरूरी सुधार कार्य किया जा चुका है। आगामी साल करीब 11 हजार नालों को पुनर्जीवित करने की योजना पर हम युद्धस्तर पर काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि कई क्षेत्रों से भू-जल स्तर बढ़ने की सुखदायी खबरें आने लगी हैं। जलवायु परिवर्तन से सूखे की परिस्थितियां बनने की चेतावनी वैज्ञानिकों ने दी है, लेकिन मुझे विश्वास है कि नरवा विकास की हमारी तैयारी, हमें हर संकट से उबार लेगी। गरुवा से गोबर, गोबर से वर्मी कम्पोस्ट, सुपर कम्पोस्ट और फिर सुपर कम्पोस्ट प्लस। गरुवा और घुरुवा को विकसित करने से नए रास्ते बनते चले गए और गोबर से धन बरसने लगा। गोधन न्याय योजना के 8 सितम्बर के आंकड़े से एक अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस योजना से क्या लाभ मिल रहा है। अभी तक गोबर बेचने वालों को 100 करोड़ 82 लाख रुपए, महिला स्वसहायता समूह को 21 करोड़ 42 लाख रुपए तथा गौठान समितियों को 32 करोड़ 94 लाख रुपए का भुगतान किया जा चुका है। गोधन न्याय योजना से 1 लाख 77 हजार 437 पशुपालकों को लाभ मिला है, जिसमें भूमिहीनों की संख्या 79 हजार 435 है। वर्मी कम्पोस्ट, सुपर कम्पोस्ट तथा सुपर कम्पोस्ट प्लस का उत्पादन 11 लाख क्विंटल से अधिक हो चुका है और करीब 8 लाख क्विंटल की बिक्री भी की जा चुकी है। यह रूझान बताता है कि छत्तीसगढ़ में जैविक खाद के उपयोग के लिए तेजी से जागरूकता बढ़ रही है। 1 हजार 634 गौठान आत्मनिर्भर बन चुके हैं।
मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि हमारा मुख्य उद्देश्य जनता को सशक्त करना है और विकास में उनकी भागीदारी सुनिश्चित करना है और हम सबको मिलकर ‘नवा छत्तीसगढ़’ गढ़ना है।