*सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कोटा के खिलाफ नगर के युवाओं ने खोला मोर्चा बिलासपुर कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन।*

करगीरोड कोटा (ब्यूरो चीफ विकास तिवारी)

*सड़क दुर्घटना में गंभीर से घायल कोटा नगर के समरजीत सिंह उर्फ गोल्डी की स्वास्थ्य सुविधाओं,,की कमी से मौत हो चुकी है।*

*नगर के युवाओ में पनप रहा आक्रोश,, बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं मिलने पर समुदायिक-स्वास्थ्य केंद्र के घेराव करने की बात कही है।*

*दिनाँक:-23-10-2018*

*करगीरोड कोटा:-सरकार बदल गई ,जनप्रतिनिधि बदल गए,अधिकारी बदल गए, पर बदले नहीं तो सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कोटा के हालात बदहाल-बीमार कोटा ब्लॉक का सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कोटा में शुरू से ही स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी रही है,विशेषज्ञ चिकित्सक ,महिला विशेषज्ञ चिकित्सक ,नर्स अन्य स्टाफ सहित, सोनोग्राफी डिजिटल एक्स-रे सहित अन्य बुनियादी स्वास्थ्य-सुविधाओं की कमी से कोटा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र हालत बदहाल और बीमार हो गई है,ऑपरेशन थिएटर तो बना हुआ है, पर ऑपरेशन करने के लिए विशेषज्ञ चिकित्सक उपलब्ध नहीं है ,शहरी हो या ग्रामीण क्षेत्र के महिलाओं के प्रसव संबंधी समस्याएं जस के तस वही की वही है, रात्रिकालीन विशेषज्ञ महिला चिकित्सक ना होने की वजह से नॉर्मल प्रसव सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कोटा में होना चमत्कार ही कहलाता है, पुराने नर्सेज जो कि काफी समय से कोटा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में पदस्थ है,जो कि काफी अनुभवी हैं, डॉक्टरों की अनुपस्थिति में अधिकतर उनकी ड्यूटी के दौरान अधिकतर प्रसव नॉर्मल हो जाते हैं ,पर वही पर नए स्टाफ या नए नर्स जिन्हें अनुभव की कमी है, अनुभवी डॉक्टर होने के बावजूद भी कई बार रिस्क ना लेते हुए बिलासपुर जिला अस्पताल रेफर कर दिया जाता है, जबकि इससे पहले 2 से 3 सीजर ऑपरेशन से बच्चों का प्रसव समुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कोटा में हो चुका है पूर्व बीएमओ प्रदीप अग्रवाल के समय में, पर वर्तमान में रात्रि कालीन या दिन में ओपीडी के समय ऐसी परिस्थिति आने के उपरांत डॉक्टर सहित नर्स और अन्य स्टाफ द्वारा अपना पल्ला झाड़ने के लिए बिलासपुर जिला अस्पताल रिफर कर दिया जाता है,जो कि अनुचित है।

*पिछले दिनों सड़क दुर्घटना में कोटा नगर के ही डाक बंगला में रहने वाले नौजवान युवक समरजीत सिंह उर्फ गोल्डी और उसके दोस्त सड़क दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हो गए थे गंभीर रूप से घायल होने पर उपस्थित लोगों द्वारा समुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कोटा लाया गया जहां पर स्वास्थ्य सुविधाएं जैसे ऑक्सीजन की कमी, 108 एंबुलेंस सहित, अन्य स्वास्थ्य सुविधाएं ना मिलने के कारण गंभीर रूप से घायल समरजीत सिंह उर्फ गोल्डी को उसके दोस्त के साथ बिलासपुर रिफर कर दिया गया, 108 एंबुलेंस का इंतजार कर रहे ,घायल के मित्र और परिजन को कॉफी इंतजार करना पड़ा 108 ना आने की स्थिति में प्राइवेट वाहन से ही बिलासपुर हॉस्पिटल के लिए ले जाया गया, जहां पर रास्ते में ही गंभीर रूप से घायल समरजीत सिंह उर्फ गोल्डी की मौत हो गई साथ ही उसके दोस्त जो कि वह भी गंभीर रूप से घायल था बिलासपुर के निजी अस्पताल में एडमिट किया गया, सही वक्त पर स्वास्थ्य सुविधाएं अगर घायल नौजवान को मिल जाती है, तो हो सकता है, आज समरजीत सिंह हमारे बीच मौजूद रहता पर स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी की वजह से एक नौजवान की आकस्मिक मौत हो गई, समरजीत सिंह की आकस्मिक मौत के बाद नगर के युवा वर्गों में काफी आक्रोश देखने को मिला आक्रोशित युवाओं ने आगे से किसी अन्य गंभीर रूप से घायल मरीज की मौत ना हो स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी की वजह से उसी को लेकर कोटा नगर के युवाओं ने कलेक्टर कार्यालय मार्च किया, कलेक्टर कार्यालय पहुंचकर कलेक्टर की अनुपस्थिति में एडीएम को ज्ञापन सोपकर समुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कोटा की वस्तु स्थिति स्पष्ट किया साथ ही कोटा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टरों की कमी एक्सरे मशीन,जो कि पिछले 7 महीने से खराब पड़ी हुई है, जन औषधि केंद्र, 108 एंबुलेंस व शव वाहन जैसी स्वास्थ्य सुविधाओं के कमी के बारे में भी अवगत कराया, कलेक्टर कार्यालय में ज्ञापन सौंपने नगर के लगभग दो दर्जन से ज्यादा युवाओं ने कलेक्टर कार्यालय जाकर ज्ञापन सौंपा साथ ही जल्द से जल्द स्वास्थ्य सुविधा में सुधार नहीं होने पर समुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कोटा का घेराव करने की बात नगर के युवाओं ने कही सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के कुछ डॉक्टरों और अन्य स्टाफ के व्यवहार की भी शिकायत की गई शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के मरीजों के साथ अभद्रता से बात करने की शिकायत भी एडीएम बिलासपुर से की गई जिसके बाद एडीएम ने ज्ञापन को कलेक्टर कार्यालय को प्रेषित कर दिया।*

*शासन लाख दावा करे की हम बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध करा रहे हैं, पर जमीनी हकीकत कुछ और दिखाई पड़ती है, कोटा समुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के साथ पूरे कोटा विकासखंड में 9 से 10 सेक्टर बनाए गए हैं ,जहां प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तो अवश्य खोले गए हैं, नई बिल्डिंग तो बना दी गई है, पर वहां आरएमए और अनुभवहिन चिकित्सक इलाज कर रहे हैं, जीवनदीप समिति सहित अन्य शासन के तरफ से राशि प्रदान की जाती है, पर वह राशि कहां पर खर्च की जाती है वह जमीन पर दिखाई नहीं पड़ती सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में प्रवेश करते ही बड़ा सा एंबुलेंस जगह घेर कर खड़ा हुआ है, जिसकी हालात कबाड़ की तरह हो कर रह गई है ,जन औषधि केंद्र में ताला लगा हुआ है, एक्सरे मशीन का कमरा पिछले 7 महीनों से बंद पड़ा हुआ है, बीच में पूर्व बीएमओ रहे डॉक्टर प्रदीप अग्रवाल के हाथ में फैक्चर हो जाने से उन्हें भी बिलासपुर जाकर एक्सरे करवाना पड़ा यह हालात है ,समुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कोटा के जहां ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर भी स्वास्थ्य सुविधाओं से वंचित है सुबह 9:00 बजे से 2:00 बजे तक ओपीडी खोलने और बंद होने का समय है पर अक्सर मरीजों की शिकायत रहती है, की 11 बजे से पहले कोई डॉक्टर हॉस्पिटल में नहीं दिखाई पड़ते उसके अलावा कुछ दिनों तक अस्पताल में शव वाहन उपलब्ध था ,पर कोटा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में शव वाहन की आवश्यकता नहीं है ,करके अन्यत्र दूसरे स्थान में भेज दिया गया बिलासपुर में उच्च पदों पर सालों से पदस्थ स्वास्थ्य अधिकारी कोटा विकास खंड के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की दशा को देखने स्वास्थ्य केंद्र में बुनियादी सुविधाओं को देखने का वक्त बिल्कुल नहीं होता है ,जब कोई वीआईपी पर्सन या उच्च अधिकारी का आगमन होता है, तो पीछे-पीछे जी हजूरी करते हुए अधिकारी भी पहुंच जाते हैं या तो फिर स्वास्थ्य अधिकारियों को अगर जानकारी प्राप्त हो जाए की कोटा विकासखंड में फला फला जगह पर झोलाछाप डॉक्टर इलाज कर रहा है, तो उस पर कार्रवाई के लिए दौड़े चले आते हैं क्योंकि उन्हें मालूम है, करवाई हो ना हो पर आने जाने की व्यवस्था हो जाती है, स्वास्थ्य अधिकारी सहित कोटा नगर के जनप्रतिनिधि जिसमें की सत्ता पक्ष के सांसद, विपक्ष की विधायिका, सत्ता पक्ष के ही नगर पंचायत अध्यक्ष अन्य जनप्रतिनिधि भी गहरी नींद में सोए हुए हैं, हो सकता है चुनावी शंखनाद की आवाज से जागते हुए समुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कोटा की बदहाली और बीमारी को दूर करने की कोशिश करें या फिर चुनाव से पहले झुनझुना पकड़ाते हुए बड़े-बड़े लंबे-लंबे वादों की झड़ी की जुमलेबाजी करते नजर आए।*

 

 

 

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