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*प्रो-कबड्डी खेल मे अब बेटियों ने भी दिखाया दम,,कहा हम भी नही किसी से कम।*

करगीरोड कोटा (विकास तिवारी)

 

*प्रो-कबड्डी खेल मे अब बेटियों ने भी दिखाया दम,,कहा हम भी नही किसी से कम।

*शिवतराई बना खेलो का गांव,,ग्रामीण प्रतिभाओं को तराशने का कार्य कर रहे हैं-इतवारी राज जैसे खेल प्रेमी।*

*गांव की गलियों से निकल कर राष्ट्रीय-अंर्तराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाता प्रो-कबड्डी खेल।*

*दिनाँक:-02-11-2018*

*करगीरोड कोटा:-पूरे देश भर में प्रो.कबडडी के खेल ने कबड्डी जैसे खेल को लोकप्रियता की बुलंदियों पर पहुंचा दिया है,ग्रामीण क्षेत्र की गलियों से निकलकर ये खेल राष्ट्रीय-अंतराष्ट्रीय स्तर पर अपने दमखम के कारण पसंद किया जाने लगा है,कोटा विकासखंड के वनांचल ग्राम शिवतराई में आज से राष्ट्रीय महिला प्रो-कबडडी का तीन दिवसीय आयोजन का शुभारंभ हुआ जिसमें मध्यप्रदेश, उड़िसा के साथ ही छत्तीसगढ़ की 24-टीमों ने हिस्सा लिया है,आयोजन कर्ता इतवारी राज ने बताया कि मुम्बई और दिल्ली की टीम समय पर नहीं पहुंच पाई,वनग्राम शिवतराई में इस तरह और इस स्तर की प्रतियोगिता आयोजित होने से आने वाले समय मे अन्य प्रकार की प्रतियोगिता होने की अच्छा संकेत माना जा रहा है,लेकिन विडबंना ये है,कि आयोजन को सरकारी मदद नहीं है, प्रदेश के खेल विभाग और नेहरू युवा केन्द्र ने इसमें रूची नहीं दिखाई है,लेकिन छत्तीसगढ़ में खेलों को बढ़ावा देने वाले इस गांव ने आपस में और कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओ से चंदा लेकर खेलों के माहौल और खिलाड़ियों के जज्बे को जिंदा रखा है।*

*खेलो को लेकर एक मानसिकता बनी हुई हैं, लोगो और सरकार की और प्रशासनिक अधिकारियों की चाहे क्रिकेट हो,हाकी हो,या अन्य तरह के खेलों की सहरो की ही खाक छानते रहते हैं, ग्रामीण अंचलों में रहने वाली प्रतिभाए असुविधाओं के अभाव में दबकर दम तोड़ देती है,शासन या खेल विभाग ग्रामीण क्षेत्रों के प्रतिभाओं को हमेशा से ही सौतेला व्यवहार करते हुए आया है, बात तो बहुत बड़ी बड़ी की जाती है, आदिवासी बाहुल्य इलाकों के विकाश की हो या फिर बुनियादी सुविधाओं की या फिर खेलकूद प्रतियोगिता की अभी कुछ दिनों पहले ही सीएजी की रिपोर्ट पेश की गई है जिसमे की वर्तमान में छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा 26-हजार करोड़ रुपए खर्च नही कर सकी,94-हजार करोड़ का भारी भरकम वाली वर्तमान सरकार 26-हजार करोड़ रुपए खर्च नही कर पाई अमीर प्रदेशो की गिनती में आने वाला छत्तीसगढ़ राज्य सरकार की नियत और नीति दोनो शंकाओं को जन्म देती है।*

 

 

 

 

**प्रो-कबड्डी खेल मे अब बेटियों ने भी दिखाया दम,,कहा हम भी नही किसी से कम।*अगर खेल विभाग नाम का सरकार का कोई विभाग बना है, तो वो केवल कागजो में ही बना है, या फिर इस विभाग में भी बाकी विभागों की तरह भ्रष्टाचार चरम पर है,आदिवासी बहुल इलाकों में खेलो के प्रति सरकार और उसके विभाग का और संबंधित अधिकारियों का इस प्रकार का सौतेला रवैया देश के लिए पदक जीतने वाले खिलाड़ियों का, देश का नाम ऊँचा करने वालो का, देश की प्रतिभाओं का गला घोंटने का काम कर रही हैं,125-करोड़ के देश में केवल कुछ ही खेलो को महत्व देना बाकी खेल और प्रतिभाओं का अपमान है,सरकार और प्रशासनिक अधिकारियों को चाहिए केवल आदिवासी कल्याण विभाग, आदिवासी के विकास जैसे विभाग, केवल कागजो में ही बना कर इतिश्री ना करे बल्कि ग्राउंड लेबल में जाकर ऐसी प्रतिभाओं को तलाशने का काम करे,खुद कुछ नही कर सकते तो इतवारी राज जैसे लोगो को प्रोत्साहित करें,उनको ऐसी सुविधाए उपलब्ध कराए जिसमे की इतवारी राज जैसे लोगो के साथ अन्य लोग जो कि अपना समय अपना पैसा खर्च कर इन प्रतिभाओं को निखारने और तराशने का कार्य कर रहे हैं, देश का भविष्य तैयार करने अपना योगदान दे रहे हैं।*

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